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पुरूषों के लिए आया गर्भ निरोधक इंजेक्शन, रिसर्च में मिली कामयाबी

अनचाही प्रेगनेंसी की टेंशन खत्म, आईसीएमआर की जांच में सफल हुआ इंजेक्शन

नई दिल्ली। अनचाही प्रेग्नेंसी की टेंशन को दूर करने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने बड़ी सफलता हासिल की है। बाजार में महिलाओं के लिए गर्भनिरोधक गोलियां उपलब्ध हैं मगर पुरुषों के लिए अभी तक इस तरह की कोई चीज उपलब्ध नहीं है, जिससे अनचाही प्रेग्नेंसी को रोका जा सके। इस दिशा में आईसीएमआर ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। जिससे अब केवल महिलाएं ही नहीं, बल्कि पुरुष भी गर्भनिरोधक ले सकते हैं। आईसीएमआर की टेस्टिंग में पुरुषों का गर्भ निरोधक इंजेक्शन पास हो गया है।

दरअसल, दुनिया भर के वैज्ञानिक पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक गोली बनाने में लगे हुए हैं, जिससे पार्टनर की प्रेग्नेंसी को रोका जा सके। आईसीएमआर ने पुरुषों की कांट्रासेप्शन पर पिछले 7 साल से रिसर्च की है और अब जाकर कामयाबी हाथ लगी है। आईसीएमआर ने पुरुष गर्भनिरोधक रिसग (risug injection) को सुरक्षित और इफेक्टिव पाया है। रिसग एक नॉन-हार्माेनल इंजेक्टेबल कांट्रासेप्शन है, जो प्रेग्नेंसी को रोकने में सफल है। इस रिसर्च में 303 पुरुष शामिल हुए थे। बताया जा रहा है कि यह पुरुषों के लिए पहली सफल गर्भनिरोधक है, जो लंबे समय तक पार्टनर की प्रेग्नेंसी को रोक सकता है।

इंटरनेशनल ओपन एक्सेस जर्नल एंड्रोलॉजी में पब्लिश ओपन-लेबल और नॉन-रेंडमाइज्ड फेज-।।। स्टडी के रिजल्ट के मुताबिक, 303 हेल्दी, सेक्सुअली एक्टिव और विवाहित लोग जिनकी उम्र 25 से 40 साल के बीच थी, उन्हें फैमिली प्लानिंग क्लीनिक्स से चुनकर इस रिसर्च में शामिल किया गया। इन लोगों को 60 मिली ग्राम रिसग इंजेक्शन दिया गया। रिसर्च में पाया गया कि रिसग प्रेग्नेंसी रोकने में 99.02 प्रतिशत सफल रही, वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के. रिसग ने 97.3 प्रतिशत एजोस्पर्मिया हासिल किया, जो एक मेडिकल टर्म है जो बताता है कि स्खलन वाले सीमन में कोई स्पर्म मौजूद नहीं है। रिसर्च में जो लोग शामिल हुए थे, उनकी पत्नियों की भी निगरानी की गई और पाया गया कि उन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा था। 2022 में आईसीएमआर से रिटायर होने वाले, स्टडी में 20 साल से अधिक का समय देने वाले और स्टजी के राइटर डॉ. आरएस शर्मा का कहना है, आखिरकार हम इस रिसर्च के माध्यम से रिसग के बारे में दो मुख्य चिंताओं को बताने में सक्षम हुए हैं। पहला यह कि गर्भनिरोधक कितने समय तक प्रभावी रहेगी और दूसरा यह कि गर्भनिरोधक लेने वाले लोगों के लिए यह कितनी सुरक्षित है।

हेल्थ मिनस्ट्री द्वारा कराई गई स्टडी में पाया गया कि कुछ पुरुषों में रिसग के इंजेक्शन के बाद बुखार, सूजन और यूरिनरी ट्रैक में संक्रमण जैसे साइड इफेक्ट देखे गए थे लेकिन वे कुछ हफ्ते से लेकर तीन महीनों के अंदर ठीक हो गए। रिसग को आईआईटी खड़गपुर के डॉ. सुजॉय कुमार गुहा द्वारा विकसित किया गया है। डॉ. सुजॉय ने 1979 में जर्नल कॉन्ट्रासेप्शन में रिसग पर पहला साइंटिफिक पेपर पब्लिश किया था। इस गर्भनिरोधक के फेज-3 ट्रायल को पूरा करने में लगभग 40 साल का समय लगा। हॉस्पिटल बेस्ड रिसर्च पांच केंद्रों जयपुर, नई दिल्ली, उधमपुर, खड़गपुर और लुधियाना में हुई।

बर्थ कंट्रोल के लिए पुरुष अभी तक सिर्फ कंडोम का ही सहारा लेते थे लेकिन शारीरिक संबंध बनाने के बाद प्रेग्नेंसी रोकने के लिए पुरुषों के पास कोई तरीका नहीं था। प्रेग्नेंसी रोकने के लिए फिलहाल महिलाएं जो गर्भनिरोधक गोलियां लेती हैं, उससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इनसे महिलाओं में हार्मोंस का संतुलन बिगड़ जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि मेल बर्थ कंट्रोल के आने से महिलाओं की सेहत और उनकी जिंदगी पर सकारात्मक असर पड़ेगा क्योंकि गर्भनिरोध की सारी जिम्मेदारी महिलाओं के ऊपर नहीं रहेगी।