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डेंगू और वायरल के मरीजों के लिए वरदान बना नारायण अस्पताल

डेंगू और वायरल पीड़ित सैकड़ों मरीजों को मिल चुका है नया जीवन

रूद्रपुर। बिलासपुर रोड स्थित नारायण अस्पताल एवं ट्रामा सेंटर वायरल और डेंगू के मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है। हर साल बरसात के मौसम में फैलने वाले वायरल से पीड़ित मरीज बड़ी संख्या में नारायण अस्पताल में भर्ती होते हैं और स्वस्थ होकर घर लौटते हैं। इस बार भी डेंगू और वायरल बुखार से पीड़ित सैकड़ों मरीज नारायण अस्पताल में पहुंचकर स्वस्थ हो चुके हैं। हर साल हजारों लोगों को वायरल बुखार और डेंगू अपने चपेट में लेता है।

वायरल बुखार में लापरवाही के चलते मरीजों की प्लेटलेट्स गिरने से हालत और बिगड़ जाती है। ऐसे मरीजों के लिए नारायण अस्पताल वरदान साबित हो रहा है। वर्ष 2019 में जब डेंगू का प्रकोप तेजी से बढ रहा था उस समय भी यूपी और उत्तराखण्ड के हजारों मरीजों को नारायण अस्पताल ने जीवनदान दिया था। इस बार भी पिछले डेढ़ महीने में वायरल बुखार के सैकड़ों मरीज नारायण अस्पताल में उपचार करा चुके हैं।

अस्पताल की सीनियर फिजिशियन डा. सोनिया अदलखा का अनुभव रोगियों के लिए मददगार साबित हो रहा है। डा. सोनिया अदलखा का कहना है कि डेंगू जैसे लक्षणों वाले मरीज रोजाना बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंच रहे है। उन्होंने कहा कि वायरल बुखार से घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि समय पर इसका उपचार कराने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वायरल बुखार में आम तौर पर लोग खुद मेडिकल स्टोर में जाकर दवाईया ले लेते हैं जो कभी कभी मरीज के लिए गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है। उन्होंने कहा कि हर मरीज की कंडीशन भिन्न भिन्न होती है। इसलिए वायरल बुखार की स्थिति में मरीज की शारीरिक स्थिति को देखकर ही दवाईयां दी जाती है। उन्होंने कहा कि मरीज का उपचार शुरू करने से पहले रक्त की जांच से ही वास्तविक स्थिति का पता चलता है इसके बाद ही उपचार कराना उचित है। उन्होंने कहा कि नारायण अस्पताल में डेंगू और वायरल बुखार के मरीजों का उपचार पूरी देखभाल के साथ किया जाता है। इसी लिए वायरल बुखार के बाद बड़ी संख्या में मरीज नारायण अस्पताल पहुंच रहे हैं।

नारायण अस्पताल में भर्ती हुई डेंगू से पीड़ित जानवी तीन चार दिन में ही स्वस्थ होकर घर लौट गयी। रेशमबाड़ी निवासी जानवी ने बताया कई दिन से उसे बुखार आ रहा था और कमजोरी लगातार बढ़ती जा रही थी। जिस कारण उसे नारायण अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां डा. सोनिया अदलखा की देख रेख में उसका उपचार शुरू हुआ। ब्लड की जांच करने पर जानवी डेंगू पॉजीविट पायी गयी। जानवी की प्लेटलेट्स भी काफी गिर गयी थी। डा. सोनिया अदलखा ने जानवी का उपचार किया और तीन दिन बाद ही उसे छुट्टी मिल गयी। जानवी ने डा. सोनिया अदलखा और अस्पताल की पूरी टीम का आभार जताया और अस्पताल की व्यवस्थाओं की सराहना की।

मटकोटा फार्म निवासी अमित कुमार की भी वायरल बुखार से हालत बिगड़ गयी थी। बुखार के साथ साथ उनके पूरे शरीर में दर्द की शिकायत थी। दर्द के चलते चलना फिरना भी मुश्किल हो गया था। जिस पर परिजनों ने अमित कुमार को नारायण अस्स्पताल भर्ती कराया। यहां ब्लड की जांच करने पर अमित कुमार को वायरल फीवर निकला उनकी प्लेटलेट्स भी गिरने लगी थी। डा. सानिया अदलखा ने तुरंत अमित कुमार का उपचार शुरू किया और कुछ घंटों में ही अमित के शरीर का दर्द कम होने लगा और कुछ दिन में वह स्वस्थ होकर घर लौट गये। अपना अनुभव बयां करते हुए अमित ने बताया कि बुखार ने उन्हें बुरी तरह तोड़ दिया था। पूरा शरीर कमजोरी महसूस कर रहा था। डा- सोनिया अदलखा द्वारा किये गये इलाज से वह पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौटे। अमित ने अस्पताल की व्यवस्थाओं की सराहना की और डा. सोनिया अदलखा का आभार व्यक्त किया।

मिलक बिलासपुर निवासी कपिल कुमार भी बुखार से पीड़ित थे। उन्हें जब नारायण अस्पताल लाया गया तब उन्हें 03 बुखार था और प्लेटलेट्स भी काफी गिर चुकी थी। उन्हें खड़ा होने में भी दिक्कत हो रही थी। डा. सोनिया अदलखा ने जो दवाईयां दी उससे कुछ ही देर में बुखार कम होने लगा और प्लेटलेट्स भी धीरे धीरे बढ़ने लगी। तीन चार दिन में ही कपिल की हालत नार्मल हो गयी और वह स्वस्थ होकर घर लौटे। कपिल कुमार ने नारायण अस्पताल के स्टाफ और यहां की व्यवस्थाओं की सराहना की। उन्होंने कहा कि नारायण अस्पताल में चिकित्सक से लेकर स्टाफ तक सभी अनुभवी हैं, स्टाफ ने भी नारायण अस्पताल में कोई भी दिक्कत नहीं होने दी। उन्होंने डा. सोनिया अदलखा और समस्त स्टाफ का आभार व्यक्त किया।

रम्पुरा निवासी कल्लू राम कोली भी बुखार से पीड़ित थे। उन्हें तेज बुखार और शरीर में दर्द होने पर नारायण अस्पताल लाया गया। हालत ज्यादा खराब होने के कारण उन्हें भर्ती करना पड़ा। दो दिन में ही बुखार ठीक हो गया और वह स्वस्थ होकर घर लौटे। कल्लू राम कोली ने अस्पताल की व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि यहां मरीज की देखभाल अच्छे ढंग से की जाती है। अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हैं और साफ सफाई की व्यवस्था भी बहुत अच्छी है।

बिलासपुर निवासी सुनील कुमार जैन भी बुखार से पीड़ित थे। उन्हें पहले से भी कई दिक्कतें थी। बुखार के कारण उनकी हालत बहुत ज्यादा बिगड़ गयी। नारायण अस्पताल में डा. सोनिया अदलखा ने उनका उपचार शुरू किया। तीन दिन में ही सुनील जैन पूरी तरह स्वस्थ हो गये। उन्होंने डा. सोनिया अदलखा का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि कोई भी तकलीफ होने पर वह डा. सोनिया अदलखा के पास ही परामर्श लेने आते हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में वह कोविड संक्रमण की चपेट में आ गये थे, तब भी डा. सोनिया अदलखा ने ही उनकी जान बचाई थी। श्री जैन ने कहा कि संक्रमण से सम्बंधित बिमारियों के उपचार में डा. सोनिया की अच्छी पकड़ है। उनके अनुभव से मरीज को तुरंत आराम मिलता है।

फुलसुंगी निवासी आशा देवी भी बुखार से पीड़ित थी। उनकी प्लेटलेट्स गिरने के कारण हालत ज्यादा बिगड़ गयी। परिजन उन्हें नारायण अस्पताल लेकर आये यहां डा. सोनिया अदलखा की देख रेख में आशा देवी का उपचार शुरू किया गया। दो दिन में ही आशा देवी की सेहत में सुधार हो गया और वह स्वस्थ होकर घर लौटी। आशा देवी ने नारायण अस्पताल की पूरीटीम का शुक्रिया अदा किया।

जरूरत पड़ने पर नारायण अस्पताल में तुरंत मिलती है प्लेटलेट्स की सुविधा
रूद्रपुर। डेंगू बीमारी के उपचार में प्लेटलेट्स को काफी अहम माना जाता है। कई मरीजों में प्लेटलेट चढ़ाने की नौबत आ जाती है। चुनिंदा अस्पतालों में ही प्लेटलेट्स, प्लाज्मा जंबोपैक की सुविधा उपलब्ध होती है। नारायण अस्पताल पिछले कई वर्षों से इस सुविधा से लैस है। नारायण अस्पताल का अपना ब्लडबैंक हैं जिसमें प्लेटलेट्स मशीन की मदद से मरीज को जरूरत पड़ने पर तुरंत प्लेटलेटस चढ़ाई जाती है। इस सुविधा की वजह से नारायण अस्पताल में कई मरीजों की जान बची है। अस्पताल के ब्लड बैंक में स्थापित हाईटैक मशीन की मदद से डोनर के शरीर से ब्लड निकालकर मशीन में ले जाया जाता है वहां से प्लेटलेट्स अलग होकर मरीज के शरीर तक पहुंचता है और बाकी ब्लड दोबारा डोनर के शरीर में पहुंचाया जाता है। इस प्रक्रिया से मरीज को एक बार में ही 50 से 60 हजार तक प्लेटलेट्स मिल जाती है। जो मरीज की हालत में सुधार लाने में काफी अहम साबित होती हैै ।