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मानवता की सेवा में जुटी है डा. प्रदीप और सोनिया अदलखा की जोड़ी

रूद्रपुर। डाक्टरों को धरती के भगवान की उपमा दी जाती है, किंतु बीते कुछ समय में लोगों की जान बचाने के पवित्र कार्य पर व्यावसायिकता इस कदर हावी हुई है कि विशेषज्ञ डाक्टर आम लोगों की पहुंच से दूर हो गए हैं। आम तौर पर सिर्फ ओपीडी में ही विशेषज्ञ चिकित्सक नजर आते हैं। मगर अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। घोर व्यावसायिकता के इस दौर में भी कुछ ऐसे डाक्टर हैं, जो लंबा अनुभव, गहन विशेषज्ञता रखने के बाद भी मानवता की सेवा के लिए तत्पर रहते हैं। जिनके लिए व्यवसाय सब कुछ नहीं बल्कि उससे बढ़कर है सेवाभाव।

ऐसे ही एक चिकित्सक दंपत्ति है डा. प्रदीप अदलखा एवं डा. सोनिया अदलखा। डा. प्रदीप और सोनिया अदलखा रूद्रपुर में बिलासपुर रोड पर विगत कई वर्षों से नारायण अस्पताल एवं ट्रॉमा सेंटर को संचालित कर रहे हैं। इस अस्पताल की उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाओं का लाभ उत्तराखण्ड, यूपी के कई जनपदों के साथ ही नेपाल के वांशिदों भी को मिल रहा है। कोरोना काल में नारायण अस्पताल ने वायरस से जूझ रहे लोगों का जीवन बचाने में अपनी अहम भूमिका निभायी थी। दोनों राज्यों के सैकड़ों गंभीर मरीजों का जीवन नारायण अस्पताल की उत्कृष्ट चिकित्सा व्यवस्था ने बचाया था। डा. प्रदीप और डा. सोनिया अदलखा विगत कई वर्षों से कम से कम खर्च पर मरीजों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने के साथ ही समय समय पर नारायण अस्पताल की ओर से निःशुल्क कैम्प लगाकर जरूरतमंद मरीजों की सेवा कर रहे हैं। दरअसल, ये जीवन का सार जान गए हैं कि धन ही सब कुछ नहीं, मानवता की सेवा भी जरूरी है। इसलिए समय समय पर गरीब व जरूरतमंदों को उपचार देकर उन्हें स्वस्थ बना रहे हैं। डा. प्रदीप और सोनिया अदलखा डॉक्टर के साथ समाज के जिम्मेदार नागरिक की तरह अपनी दूसरी भूमिकाओं का भी निर्वहन अच्छे से करते हैं। गांवों में नारायण अस्पताल की ओर से निशुल्क शिविर लगाकर जरूरतमंदों का ईलाज किया जाता हैं। विभिन्न चेकअप करने के साथ साथ निःशुल्क दवाओं का वितरण भी किया जाता है। क्षेत्र में नारायण अस्पताल की ओर से समय-समय पर रक्तदान शिविरों का आयोजन भी किया जाता है। नारायण अस्पताल की उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाओं का लाभ आज नेपाल तक के मरीज भी उठा रहे हैं।

नारायण अस्पताल ने आज जो ख्याति प्राप्त की है उसके पीछे पचास वर्षों की मेहनत रही है। बिलासपुर रोड पर अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित नारायण अस्पताल एवं ट्रॉमा सेंटर की स्थापना से पूर्व अदलखा परिवार ने छोटे से क्लीनिक के रूप में रूद्रपुर शहर में चिकित्सा सेवाएं देना शुरू की थी। 2011 में डा.प्रदीप अदलखा और डा. सोनिया अदलखा ने यूपी और उत्तराखण्ड की सीमा पर इस अस्पताल को वृहद रूप में अत्याधुनिक सेवाओं के साथ शुरू किया। आज यह अस्पताल वट वृक्ष का रूप ले चुका है। बदलते दौर में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के साथ समय.समय पर अस्पताल की चिकित्सा सेवाओं को अपडेट करते हुए नई तकनीक से जोड़ा गया है।

आज नारायण अस्पताल यूपी के रामपुर जनपद और उत्तराखण्ड में तराई में सबसे बड़े अस्पतालों में से एक है। नारायण अस्पताल आज मरीजों को 24 घंटे बेहतर इलाज और देखभाल प्रदान करने के लिए जाना जाता है। मरीजों की जान बचाने के लिए अस्पताल की टीम हमेशा तत्पर रहती है। अनुभवी विशेषज्ञों ने नारायण अस्पताल को पिछले कई वर्षाे से अग्रणी बना रखा है। इसके पीछे डा. प्रदीप अदलखा और डा. सोनिया अदलखा की सोच और उनका लम्बा अनुभव रहा है। दरअसल डा. प्रदीप अदलखा ने इस पेशे को मानवता की सेवा के मिशन के लिए चुना था। इसलिए दोनों ही मानवता की सेवा में कभी पीछे नहीं रहते। दोनों ही अपनी चिकित्सा पद्धति के माध्यम से मानव जाति के लिए एक महत्वपूर्ण सेवा कर रहे हैं।

ग्राम भूरारानी में साधारण परिवार में जन्मे डा. प्रदीप अदलखा को चिकित्सक बनने की प्रेरणा अपने पिता डा. नारायण दास अदलखा से मिली। भारत विभाजन के दौरान डा. प्रदीप अदलखा के दादा जांझी राम अदलखा भूरारानी में आकर बस गये। उन्होंने कड़ी मेहनत करके अपने पुत्र नारायण दास अदलखा को मानवता की सेवा के लिए चिकित्सक बनाया। इसके बाद डा. प्रदीप अदलखा भी अपने पिता से प्रेरणा लेकर चिकित्सक बने। उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा रूद्रपुर में ही प्राप्त की। इसके बाद लखनऊ से चिकित्सा शिक्षा हासिल की। केजीएमसी लखनऊ से उन्होंने एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। इसके बाद एमएस आर्थाे की डिग्री एसएन एमसी आगरा से प्राप्त करने के बाद रूद्रपुर में अपनी शिक्षा का लाभ लोगों तक पहुंचाया। नारायण अस्पताल एवं ट्रामा सेंटर की स्थापना से पूर्व डा. प्रदीप अदलखा ने 2002 से 2011तक किच्छा रोड स्थित महाराजा अग्रसेन अस्पताल में सेवाएं दी। इसके बाद 2011 में 50 बैड के साथ नारायण अस्पताल एवं ट्रामा सेंटर स्थापित किया। नारायण अस्पताल रूद्रपुर क्षेत्र में सिटी स्कैन,डायलिसिस, माड्यूलर ऑपरेशन थियेटर,आईसीयू, न्यूरोसर्जन और कार्डियोलॉजिस्ट की सुविधा शुरू करने वाला पहला अस्पताल है।

चिकित्सक बनने के बाद से ही डा. प्रदीप अदलखा की सोच थी कि रूद्रपुर क्षेत्र के लोगों को गंभीर बीमारियों के ईलाज के लिए बड़े शहरों की ओर ना भागना पड़े। इस सोच को उन्होंने नारायण अस्पताल के माध्यम से धरातल पर भी उतारा। सस्ती दरों पर एक छत के नीचे सभी चिकित्सा सुविधाओं के मिशन के साथ नारायण अस्पताल की स्थापना का लाभ आज हजारों लोगों को मिल रहा है। डा. प्रदीप अदलखा आज एक परफेक्शनिस्ट चिकित्सक हैं।

बड़े शहरों में होने वाले कूल्हा प्रत्यारोपण और घुटना प्रत्यारोपण को भी उन्होंने क्षेत्रवासियों के लिए आसान बनाया है। डा. अदलखा ज्यादातर क्रिटिकल केयर मामलों को देखते हैं। आधी रात को भी किसी मरीज को अगर उनकी जरूरत पड़ती है तो वह हाजिर होते हैं, यही नहीं महंगे से महंगे इलाज में भी वह जरूरतमंदों को पैसे की कमी नहीं खलने देेते। कोई भी जरूरतमंद उनसे ईलाज का बिल कम करने का आग्रह करता है तो तुरंत बिल कम करने में पीछे नहीं हटते।

वे कहते हैं मेरा मिशन है कि हर जरूरतमंद को समय पर चिकित्सा सहायता और इलाज मिले। मेरा उद्देश्य सबसे कम खर्चे पर सर्वाेत्तम चिकित्सा सुविधाएं और उपचार प्रदान करना है। डा. प्रदीप अदलखा कहते हैं कि अस्पताल हमारे लिए सेवा का केंद्र है। हमने सर्वाेत्तम चिकित्सा पद्धतियों, सर्वाेत्तम अस्पतालों की सुविधाओं को अपनाया है। लगातार अपडेट होना बहुत जरूरी है। हमने स्थानीय और आस.पास के मरीजों को सर्वाेत्तम चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता वाले उपकरण स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि पैसे से ज्यादा जरूरी मरीज की संतुष्टि है। इसीलिए कोई अनजान व्यक्ति भी उनसे कोई मदद मांगता है तो वह हरसंभव मदद करने का प्रयास करते हैं।

डा. प्रदीप अदलखा की धर्मपत्नी डा. सोनिया अदलखा भी सेवाभाव के साथ नारायण अस्पताल को आगे बढ़ा रही है। धार्मिक प्रवृत्ति उनके अंदर कूट-कूट कर भरी है। अस्पताल में उनके दिन की शुरूआत रोजाना हवन पूजन के साथ होती है। बचपन से ही उनका रूझान अध्यात्म की ओर रहा है। कैथल हरियाणा में जन्मी डा.सोनिया अदलखा के दादा लाला लेखराज मिगलानी चावल के बड़े निर्यातक थे। उनके पिता डा. देवराज मिगलानी एक कुशल चिकित्सक थे।

पिता से प्रेरणा लेकर डा. सोनिया अदलखा ने भी चिकित्सा के क्षेत्र में कदम बढ़ाया। बचपन से ही मेधावी रही डा. सोनिया अदलखा कैथल में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान हरियाणा की टॉपर और गोल्ड मेडलिस्ट रही। 1991 में उन्होंने वर्धा स्थित महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस से एमबीबीएस डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने एमडी मेडिसिन की डिग्री प्राप्त की। बाद में उन्होंने सेंट स्टीफन, गुरू तेग बहादुर अस्पताल सहित कई अस्पतालों में सेवाएं दी। आज उनके अनुभवों का लाभ उत्तराखण्ड और यूपी के हजारों लोगों को मिल रहा है।

समर्पित जोड़ी के पास वर्तमान में 100 बिस्तरों वाला सुपर स्पेशलिटी अस्पताल है उनके अस्पताल मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर, अत्याधुनिक आई.सी.यू जैसी तमाम विश्व स्तरीय सुविधाएं हैं। दोनों ही अपने माता-पिता को अपना आदर्श मानते हैं। डाक्टर दंपत्ति ने अपने इस सफर के दौरान हजारों जरूरतमंद रोगियों की अपनी सेवाओं से मदद की है। यह सिलसिला लगातार जारी है। डा. सोनिया अदलखा और प्रदीप अदलखा आधी रात को भी जरूरत पड़ने पर किसी मरीज का चैकअप करने के लिए तत्पर रहते हैं। मरीजों की भीड़ के कारण कई बार तो उन्हें रात भर जागना पड़ता है। कोरोना काल में भी डा. प्रदीप और सोनिया अदलखा ने मिसाल पेश की और तमाम मरीजों को त्वरित उपचार दिलाकर उनकी जान बचाई।

250 से अधिक लोगों को दिया रोजगार

रूद्रपुर। नारायण अस्पताल के एमडी डा. प्रदीप अदलखा ने खुद एक चिकित्सक के रूप में नौ साल तक अग्रसेन चिकित्सालय में सेवाएं दी और अपनी चिकित्सा सेवा से लोगों का दिल जीता। शुरू से ही उनकी सोच थी कि क्षेत्र में चिकित्सा जगत के लिए कुछ नया किया जाये। इसी लिए उन्होंने 2011 में नारायण अस्पताल एवं ट्रामा सेंटर की स्थापना की और इसमें तमाम अत्याधुनिक सेवाओं को स्थापित किया। नारायण अस्पताल की स्थापना के बाद लोगों को गंभीर बीमारियों का ईलाज यहीं पर मिलने लगा। नारायण अस्पताल की स्थापना करके डा. प्रदीप अदलखा ने न सिर्फ लोगों को अच्छी चिकित्सा सुविधायें मुहैया करायी बल्कि तमाम लोगों को रोजगार भी दिया। आज नारायण अस्पताल में करीब 300 लोगों को रोजगार मिला है। अस्पताल में काम करने वाले पूरे स्टाफ को डा. प्रदीप अदलखा और सोनिया अदलखा अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं और उनके सुख दुख में भी शरीक होते हैं। स्टाफ को अपडेट करने के लिए समय.समय पर नई तकनीकी ट्रेनिंग दी जाती है।

बहन के हाथ में सौंपी प्रबंधन की कमान

रूद्रपुर। नारायण अस्पताल के एमडी डा. प्रदीप अदलखा और सोनिया अदलखा अकसर मरीजों के ईलाज में व्यस्त रहते हैं। इसीलिए उन्होंने अस्पताल के प्रबंधन की पूरी कमान अपनी विवाहित बहन मोनिका करनवीर को सौंपी है। वित्तीय प्रबंधन से लेकर हर छोटे बड़े काम की जिम्मेवारी मोनिका करनवीर के हाथों में होती है। पिछले कई वर्षों से मोनिका करनवीर अपने कुशल प्रबंधन से अस्पताल को मजबूती से आगे बढा रही हैं। चिकित्सालय आज ख्याति प्राप्त कर रहा है तो उसमें मोनिका करनवीर की भी अहम भूमिका रही है। बड़े भाई द्वारा दी गयी जिम्मेवारी को बहन मोनिका बखूबी निभा रही हैं। परिवार की जिम्मेवारी को संभालने के साथ-साथ वह अस्पताल के प्रबंधन को संभालने में भी माहिर हैं। बड़े भाई की तरह उनका व्यवहार भी सरल और सादगी भरा है। बड़े भाई के काम काज में हाथ बंटाकर वह खुद को धन्य मानती हैं।

हजारों लोगों के चेहरों पर लौटाई खुशियां

रूद्रपुर। नारायण अस्पताल के एमडी एवं वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. प्रदीप अदलखा ने चिकित्सक बनने के बाद अब तक हजारों लोगों के जीवन में खुशियां लौटायी हैं। उनके पास ईलाज के लिए आये अनगिनत निराश लोगों को राहत मिली है। डा. अदलखा अस्पताल की स्थापना के बाद से अब तक हड्डियों के 15,000से अधिक सर्जरी के रिकार्ड बना चुके हैं। लम्बे अनुभव के चलते उन्हें हड्डियों से सम्बंधित रोगोें के उपचार में महारत हासिल हो चुकी है।

आर्थाेपेडिक सर्जरी के मामले में डा. प्रदीप अदलखा ने अपनी विशेष पहचान बनायी है। अस्पताल में उनके द्वारा आर्थराइटिस, हिप रिप्लेसमेंट, घुटना जोड़ रिप्लेसमेंट, रीविजन जॉइंट रिप्लेसमेंट, स्पाइन सर्जरी जैसे डिस्क हर्नियेशन, शोल्डर इंजरी, मस्कुलोस्केलेटल और बोन टड्ढूमर, ट्रॉमा और पीडियाट्रिक सर्जरी भी की जाती है। हाथ पैर टूटने पर होने वाली साधारण सर्जरी के अलावा डा. प्रदीप अदलखा रीढ़ की हड्डी के जटिल आप्रेशन भी करते हैं। इसके अलावा उनके द्वारा लम्बे समय से अस्पताल में घुटना प्रत्यारोपण और कूल्हा प्रत्यारोपण की सुविधा भी दी जा रही है।

नारायण अस्पताल में अत्याधुनिक तकनीक से कूल्हा और घुटना प्रत्यारोपण से मरीज को कुछ ही दिनों में दर्द से छुटकारा मिलने के साथ ही वह साधारण तरीके से चलना फिरना भी शुरू कर देता है। पूर्व में जहां लोगों को घुटना और कूल्हा प्रत्यारोपण के लिए बड़े शहरों की ओर भागना पड़ता था। पिछले कुछ वर्षों कूल्हा प्रत्यारोपण और घुटना प्रत्यारोपण की अत्याधुनिक विश्व स्तरीय सुविधा नारायण अस्पताल में ही उपलब्ध होने से लोगों को अब दूसरे शहरों की ओर नहीं भागना पड़ता।

सड़क दुर्घटनाओं में अकसर हड्डी टूटने के केस सामने आते हैं। ऐसे मामलों के लिए नारायण अस्पताल वरदान साबित हो रहा है। नारायण अस्पताल के एमडी डा. प्रदीप अदलखा ने अपने अनुभव से दुर्घटना में घायल हुए अनगिनत लोगों को न सिर्फ जीवनदान दिया है बल्कि तमाम लोगों को विकलांग होने से भी बचाया है। उनके अनुभव की बदौलत आज कई लोग सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं। अस्पताल में चौबीस घंटे इमरजेंसी सेवाओं के साथ साथ कुशल चिकित्सक भी चौबीस घंटे उपलब्ध हैं।