लापरवाही बरतने पर जानलेवा हो सकती है फूड प्वाइजनिंग
दूषित भोजन और पानी से बढ़ रहे हैं फूड प्वाइजिंग के मामले
रूद्रपुर। उमस भरी गर्मी के साथ इन दिनों फूड प्वाइजिनंग के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। गलत खान पान इसकी मुख्य वजह है। अक्सर हम देखते हैं, कि लोगों को पेट में दर्द और ऐंठन, उल्टी, दस्त, दस्त के साथ खून आना, सिरदर्द जैसी समस्याएं काफी परेशान करती हैं। आमतौर पर इस तरह की समस्याएं कुछ दिन में ठीक हो जाती हैं, लेकिन अगर किसी व्यक्ति के लक्षण गंभीर है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। यह कुछ मामलों में फूड पॉइजनिंग का संकेत हो सकता है। यह हमारे द्वारा खाए जाने वाले फूड्स के कारण होने वाली एक गंभीर बीमारी है। इसके कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। घरेलू उपायों की मदद से भी आप इनसे छुटकारा नहीं पा सकते हैं, इसके लिए डॉक्टर से उपचार लेने की जरूरत होती है।
आखिर फूड पॉइजनिंग की बीमारी होती क्यों है? इसके बारे में नारायण अस्पताल की सीनियर फिजिशियन डा. सोनिया अदलखा बताती हैं कि फूड पॉइजनिंग की स्थिति तब पैदा होती है जब हम ऐसे फूड्स का सेवन अधिक करते हैं, जिनमें बैक्टीरिया ,वायरस, परजीवी, टॉक्सिन्स, मोल्ड और कई अन्य हानिकारक सामग्रियां होती हैं। सरल शब्दों में कहें, तो फूड पॉइजनिंग दूषित भोजन करने की वजह से होती है। आपने भोजन को किस तरह पकाया है, उसमें किन.किन सामग्रियों को प्रयोग किया गया है, यह भोजन को दूषित करने में बहुत भूमिका निभाता है। भोजन को पकाने के प्रोसेस के दौरान भी भोजन दूषित हो सकता है भोजन को दूषित बनाने के लिए कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं जैसे, आपने भोजन को अच्छी तरह नहीं पकाया है,भोजन को सही तरीके से स्टोर न करना ,लंबे समय तक भोजन को फ्रिज में स्टोर करके रखना, ऐसे व्यक्ति के द्वारा छुआ गया भोजन जो पहले से बीमार या वायरस की चपेट में है, सब्जियां काटने वाले बोर्ड, चाकू और अन्य भोजन में प्रयोग होने वाली सामग्रियों को ठीक से साफ न करना, बिना साफ.सफाई के भोजन तैयार न करना, पके हुए तेल को बार.बार भोजन पकाने के लिए प्रयोग करना आदि फूड प्वाइजनिंग के कारण हो सकते हैं। फूड प्वाइजनिंग से बचने के लिए भोजन तैयार करते समय उपरोक्त बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। इसके अलावा जंक और प्रोसेस्ड फूड्स के सेवन से सख्त परहेज किया जाना चाहिए। क्योंकि उनमें हानिकारक केमिकल और टॉक्सिन्स की अधिक होते हैं। ये फूड पॉइजनिंग का कारण बनते हैं। फूड पॉइजनिंग का प्रमुख कारण अनियमित दिनचर्या और गलत खान.पान है। इसमें उल्टी आना, जी मिचलाना, सिर दर्द, चक्कर आना, पेट में मरोड़ और दस्त लगने की समस्या हो सकती है। फूड पॉइजनिंग को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। खुले में या देर तक रखा खाना आपके पेट को संक्रमित कर सकता है। सामान्य फूड पॉइजनिंग में आमतौर पर तीन दिन में व्यक्ति ठीक हो जाता है। अगर स्थिति गंभीर हो जाए, तो जटिलताएं हो सकती हैं। फूड पॉइजनिंग की समस्या संक्रमण के कारण होती है, जिसमें कुछ सामान्य जीवाणु और खाद्य पदार्थों के वायरस अहम भूमिका निभाते हैं। सबसे आम सूक्ष्मजीव एंटअमीबा (एक आम परजीवी, जिसके कारण पेचिश हो सकती है), जिआर्डिया (एक ऐसा परजीवी, जो दस्त का कारण बनता है), कैंपाइलोबैक्टर, शिगेला, साल्मोनेला, ई कोलाई, लिस्टेरिया और नोरोवायरस (ऐसा बैक्टीरिया, जो टाइफाइड का कारण बनता है) हैं।
संक्रमण होने पर क्या करें
जब हमारा शरीर फूड पॉइजनिंग से पीड़ित होता है, तो इन टॉक्सिन को बाहर निकालने के लिए अधिक पानी का इस्तेमाल करता है। इसलिए इस दौरान अधिक पानी का सेवन करके अपने शरीर में पानी की प्रचुरता बनाए रखें। यदि आपको उल्टी और दस्त हो रहे हैं, तो सिर्फ तरल पदार्थों का सेवन करें और ऐसे भोजन का सेवन न करें, जिन्हें चबाना पड़े। गुनगुना पानी पिएं तथा यथासंभव कम मसाले का खाना खाएं। पेट का दर्द असहनीय हो तो शीघ्र किसी विशेषज्ञ डॉक्टर के परामर्श से अल्ट्रा साउंड कराएं। डायरिया और उल्टी की वजह से शरीर से पानी के साथ.साथ सोडियम, पोटैशियम और अन्य मिनरल भी कम हो जाते हैं। इसलिए पानी के साथ इलेक्ट्रल पाउडर लें। नमक और चीनी का घोल भी ऐसे में काफी फायदेमंद साबित होता है। स्पोर्ट्स ड्रिंक पीने से बचें। भोजन एवं दिनचर्या के नियमों का ठीक से पालन करें। समय पर खाना खाएं। लिवर को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों जैसे शराब, दर्द निवारक दवाओं, बुखार की दवा आदि का इस्तेमाल तत्काल बंद कर दें और अपने लिवर की जांच कराएं।
क्या हैं फूड पॉइजनिंग के लक्षण
फूड पॉइजनिंग चाहे बैक्टीरिया के कारण हुआ हो या वायरस के कारण, लक्षण आमतौर पर समान ही होते हैं। पेट दर्द, जी मिचलाना, दस्त, बुखार और शरीर में दर्द के लक्षण दिख सकते हैं। इसमें न सिर्फ पेट मरोड़ के साथ दर्द करता है, बल्कि डायरिया, उल्टी आदि की समस्याएं नजर आने लगती हैं। अगर आपका खाया खाना लंबे समय तक पच नहीं रहा है, पेट फूला सा महसूस हो रहा है या लगातार पेट दर्द के साथ उल्टियां हो रही हैं, तो ये सब पेट के संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं। अगर किसी को सूक्ष्मजीव एंटम्यूबा का संक्रमण हुआ हो, तो पेचिश के कारण हल्के रक्त के साथ पतले दस्त आते हैं। भले ही फूड पॉइजनिंग के अधिकांश मामलों की अवधि 5.7 दिनों की होती है, लेकिन कई बार यह जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। खासकर बुजुर्ग, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों, गर्भवती महिलाओं और एचआईवी संक्रमण वाले लोगों को फूड पॉइजनिंग के मामले में लापरवाही बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए।