हार्ट अटैक से बचने के लिए जरूर कराएं ये टेस्ट
रूद्रपुर। बढ़ती हार्ट अटैक की घटनाओं के बीच यह पता लगाना जरूरी हो गया है कि आपका हृदय सही तरीके से काम कर रहा है या नहीं। क्योंकि, पिछले कुछ सालों में कई ऐसी सेलिब्रिटी की भी मौत हुई जिनकी उम्र 30 से 40 के बीच थी और वह बहुत ही हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो कर रहे थे। इसके बावजूद युवाओं में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामले सामने आना चिंता का विषय है। हार्ट अटैक जैसी दिल की बीमारियों से सतर्क रहने और इसका पता लगाने के लिए आप अपने डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। वह कुछ आसान से टेस्ट करेंगे और आपको आपके दिल का हाल बताएंगे। अगर कुछ गड़बड़ी होती है तो आप समय रहते उसका उपचार कर अपने हृदय को स्वस्थ कर पाएंगे। नारायण अस्पताल एवं ट्रामा सेंटर के हृदय रोग विशेषज्ञ डा. एसपी सिंह ने बताते हैं कि हृदय स्वास्थ्य का पता लगाने जब आप डॉक्टर के पास जाएंगे तो सबसे पहले वह आपकी नब्ज देखेंगे। वह जांच करेंगे कि आपकी नाड़ी आपके हृदय की धड़कन से मेल खा रही है या नहीं जो आपकी धमनियों से ब्लड को पंप करती है। दरअसल, अपनी नाड़ी को देखकर यह जान सकते हैं कि आपका दिल कितनी तेजी से धड़कता है और हार्ट बीट नियमित है या नहीं।
ब्लड प्रेशर की जांच-
धमनियों की दीवारों के विपरीत रक्त का बल ब्लड प्रेशर कहलाता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति का रक्तचाप 120/80 से कम होना चाहिए।यदि आपका ब्लड प्रेशर लेवल 130/80 या उससे अधिक है तो इसे रक्तचाप का बढ़ना या हाई ब्लड प्रेशर कहते हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर आपको तुरंत अपनी डाइट और रूटीन में बदलाव की सलाह दे सकते हैं। ताकि आपका ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहे और हृदय को किसी तरह की क्षति न पहुंचे।
खून की जांच-
हृदय की स्थिति का पता लगाने के लिए एक्सपर्ट आपको खून की जांच की सलाह दे सकते हैं। क्योंकि इस परीक्षण से ब्लड में सोडियम, पोटैशियम, एल्ब्यूमिन और क्रिएटिनिन के लेवल की जांच की जाती है। अगर खून में इसका स्तर सामान्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में किडनी लिवर और यहां तक कि ”दय को भी नुकसान पहुंच सकता है।
कोलेस्ट्रॉल की जांच-
एक्सपर्ट के मुताबिक आमतौर पर कोलेस्ट्रॉल लेवल का पता खून की जांच से ही लगाया जा सकता है। क्योंकि शुरुआत में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। ऐसे में चिकित्सक ब्लड टेस्ट के माधयम से कोलेस्ट्रॉल (गुड और बैड कोलेस्ट्रॉल) की जांच कर सकते हैं। यह एनीमिया और थायराइड जैसी बीमारियों की स्थिति का पता लगाने में भी मददगार हो सकते हैं जो हृदय को प्रभावित करते हैं।
साइलेंट हार्ट अटैक के लक्षण
साइलेंट हार्ट अटैक आने पर चेस्ट के बीच में अकड़न या दर्द, शरीर में प्रेशर महसूस होना आदि साइलेंट हार्ट अटैक के लक्षण हैं। अगर आपको लग रहा है कि बिना ज्यादा चले ही हार्ट रेट तेज हो गया है, तो समझ जाएं कि ये हार्ट अटैक का लक्षण है। साइलेंट हार्ट अटैक आने पर आपको अचानक पसीना, उल्टी, जी मिचलाने जैसे लक्षण नजर आते हैं। सांस लेने में भी समस्या होने लगती है।
साइलेंट अटैक के बाद पन्द्रह मिनट सबसे अहम
साइलेंट अटैक के कारण मौत की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। लेकिन व्यक्ति को समय पर मेडिकल सहायता मिल जाए, तो उसे बचाया जा सकता है। हार्ट में रक्त के प्रवाह को पूरी तरह से बंद होने में करीब 12 से 15 मिनटों का समय लगता है।लेकिन करीब 20 मिनट बाद नुकसान को रोक पाना नामुमकिन हो जाता है।अगर अटैक आने के चंद मिनटों में इलाज मिल जाए, तो व्यक्ति की जान बच सकती है।
किन्हें होता है हार्ट अटैक का खतरा?
डायबिटीज, मोटापा, हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रॉल, हार्ट से जुड़ी बीमारी आदि होने पर व्यक्ति को साइलेंट हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है। अनुवांशिक कारणों से भी साइलेंट हार्ट अटैक आ सकता है। ऐसे लोगों को विशेष रूप से सावधन रहना चाहिए।
साइलेंट अटैक क्या करें
साइलेंट अटैक आने पर सबसे पहले व्यक्ति को चिकित्सा केंद्र लेकर जाएं। डाक्टर चेकअप के बाद बता पाएंगे कि व्यक्ति को हार्ट अटैक आया है या नहीं। साइलेंट हार्ट अटैक में डॉक्टर एलेक्ट्रोकार्डियोग्राम और इको कार्डियोग्राम जैसी जांच करते हैं। मरीज का इलाज एंजियोप्लास्टी या बाईपास सर्जरी से किया जाता है।