उत्तराखंडऊधम सिंह नगरस्वास्थ्य

बरसात में जानलेवा हो सकती हैं ये बिमारियां

मानसून के साथ बिमारियों ने भी दी दस्तक, वायरल बुखार और डायरिया के बढ़ रहे मामले

रूद्रपुर। मानसून की बारिश भीषण गर्मी से राहत के साथ-साथ कई बिमारियां भी लेकर आती है। दरअसल, इस मौसम में लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है जिससे लोगों को वायरल, फ्लू, डेंगू मलेरिया और डायरिया जैसी गंभीर बीमारियां होने लगती हैं। अगर ध्यान नहीं दिया तो और भी कई बीमारियां इस मौसम में शरीर पर अटैक कर सकती है। नारायण अस्पताल की सीनियर फिजिशियन डा. सोनिया अदलखा का कहना है कि इस मौसम में बिमारियों से बचने के लिए खास सावधानी बरतनी चाहिए। इस मौसम में इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। पानी जमा होने से और जगह-जगह गंदगी फैलने से कीटाणु और बैक्टीरिया को पनपने का मौका मिलता है, जिससे कई बीमारियों फैलने लगती है। इसीलिए इन दिनों अस्पताल में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। खासकर लोगों में पेट के रोगों की समस्या देखने को मिल रही है।

बरसात में फैलती हैं ये बीमारियाँ

गैस्ट्रोएन्टेरिटिसः बरसात में सबसे आम बीमारी है गैस्ट्रोएन्टेरिटिस। यह बीमारी दूषित खाने या पानी से फैलती है। इसके लक्षणों में दस्त, पेट में दर्द, जी मिचलाना और उल्टी शामिल हैं। अचानक दस्त शुरू होना, साथ में बुखार आना आंत के संक्रमण का साफ संकेत है। अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह बीमारी शरीर में पानी की कमी, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और गंभीर मामलों में किडनी फेल होने का कारण बन सकती है

डेंगूः मानसून के दौरान डेंगू के मामले बढ़ जाते हैं, इसके लक्षणों में तेज बुखार, सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और त्वचा पर चकत्ते शामिल हैं। डेंगू गंभीर मामलों में डेंगू रक्तस्रावी बुखार (डीएचएफ) में बदल सकता है, जिससे गंभीर ब्लाडिंग, अंग की कमजोरी और संभावित रूप से मृत्यु हो सकती है, खासकर बच्चों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में इस बिमारी का खतरा अधिक होता है।

मलेरियाः मलेरिया एक आम बीमारी है, खासकर बरसात के मौसम में। बारिश के पानी में मच्छर पनपते हैं, जो मलेरिया फैलाते हैं। जैसे ही बारिश का मौसम शुरू होता है, मलेरिया के मामले बढ़ जाते हैं, इसके लक्षणों में बार-बार तेज बुखार, ठंड लगना, पसीना आना, सिरदर्द, जी मिचलाना और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं। अचानक बुखार का बढ़ना और फ्लू जैसे लक्षण, अक्सर कंपकंपी के साथ ठंड लगना, मलेरिया संक्रमण का संकेत है। अगर मलेरिया का इलाज न किया जाए तो यह गंभीर एनीमिया, सांस लेने में तकलीफ, ऑर्गन फेल और गंभीर मामलों में सेरेब्रल मलेरिया का कारण बन सकता है, जिससे कोमा या मृत्यु हो सकती है।

हैजाः मानसून के दौरान बासी या दूषित भोजन, दूषित पीने के पानी के कारण हैजा फैलने की संभावना रहती है। हैजा के कारण अचानक पानी जैसा दस्त, उल्टी और गंभीर डिहाइड्रेशन हो जाता है। धंसी हुई आंखें, मुंह सूखना और पेशाब का कम आना हैजा की चेतावनी संकेत हैं। मुश्किलें तेज़ी से बढ़ सकती हैं, जिससे शॉक, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और गंभीर मामलों में अगर इलाज न किया जाए तो घंटों के भीतर मौत हो सकती है।

टाइफाइडः खराब भोजन और पानी से टाइफाइड बुखार की समस्या होती है। यह बीमारी साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया की वजह से होती है। इसलिए इस मौसम में साफ-सफाई के साथ साफ़ और गर्म पानी पीने की सलाह दी जाती है।

हेपेटाइटिस एः हेपेटाइटिस ए संक्रमण, ज्यादातर लीवर को प्रभावित करता है और सूजन का कारण बनता है। हेपेटाइटिस ए बहुत ही संक्रामक बीमारी है और यह वायरस युक्त भोजन या पानी के माध्यम से लोगों में फैलता है। हेपेटाइटिस ए के अक्सर होने वाले लक्षणों में बुखार, उल्टी, शामिल हैं। हाइजीन का ख्याल रख इस बीमारी को होने से रोका जा सकता है।

सर्दी और फ्लूः बरसात में तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण शरीर बैक्टीरिया और वायरल की चपेट में जल्दी आता है। दरअसल, इस मौसम में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जताई है इसलिए उसे मजबूत करने एक लिए अपना खानपान बेहतर करना चाहिए।

मानसून की बीमारियों से दूर रहने के लिए क्या करें

  • फंगल संक्रमण को रोकने के लिए, अपने आसपास हमेशा स्वच्छता बनाए रखें।
  • गर्म पानी पिएं। बाहर का पानी पीना अवॉयड करें।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने के लिए अपनी डाइट का बेहतरीन ख्याल रखें।
  • मार्केट से लाए फलों और सब्जियों को सबसे पहले अच्छी तरह से 2 या तीन बार पानी से धोएं। उसके बाद ही इस्तेमाल करें।
  • तेल और सोडियम का सेवन कम करें।
  • डेयरी प्रोडक्ट्स से बचें क्योंकि उनमें ऐसे बैक्ट्रिया होते हैं जो आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।