कई अंगों के लिए खतरनाक है हाई कोलेस्ट्रोल
समय पर नियंत्रण नहीं किया तो भुगतने पड़ सकते हैं गंभीर परिणाम
रूद्रपुर। हाई कोलेस्ट्रोल दिल के लिए ही नहीं बल्कि शरीर के कई अंगों के लिए खतरनाक हो सकता है। कोलेस्ट्रॉल सिर्फ आपकी धमनियों को ही प्रभावित नहीं करता है बल्कि, ये शरीर के तमाम अंगो के कामकाज को भी प्रभावित करने लगता है। दरअसल, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का मतलब है कि शरीर में बैड फैट की मात्रा बढ़ गई है जिस वजह से ये बैड फैट लिपिड्स के रूप में जमा होने लगे हैं। इससे लिवर पर गहरा असर पड़ता है जिससे फैटी लिवर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है।
नारायण अस्पताल की सीनियर फिजिशियन डा. सोनिया अदलखा के मुताबिक लिवर शरीर का महत्वपूर्ण अंग है जो जो कोलेस्ट्रॉल पचाता है और इसे गुड फैट और बैड फैट के रूप में अलग-अलग करके शरीर के बाकी अंगों तक भेजता है। गुड कोलेस्ट्रॉल को शरीर विटामिन डी बनाने और स्किन की टोनिंग जैसी चीजों के लिए इस्तेमाल कर लेता है। लेकिन, जब बैड कोलेस्ट्रॉल ज्यादा होता है तो लिवर को इसे पचाने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है जिस वजह से लिवर में सूजन की समस्या होने लगती है। इसके अलावा जब इसकी मात्रा ज्यादा हो जाती है तो ये लिवर सेल्स को डैमेज करने लगती है। इससे लिवर की बीमारी का खतरा बढ़ता है। हाई कोलेस्ट्रोल के कारण नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज का खतरा सबसे ज्यादा होता है। ये डिस्लिपिडेमिया यानी कोलेस्ट्रॉल असामान्य स्तर और खून में लिपिड्स के बढ़ने से जुड़ा हुआ है। एनएएफएलडी लिपोडिस्ट्रोफी को भी ट्रिगर कर सकता है जिसमें कि शरीर में फैट वितरण में अनियमितता आ जाती है। यही आगे चलकर सिरोसिस और हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा का कारण बन सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल होने पर शरीर में जमा बैड फैट लिपिड्स धमनियों में चिपकने लगते हैं और खून आने-जाने के रास्ते को प्रभावित करते हैं। इसकी वजह से धमनियां ब्लॉकेज का शिकार होने लगती है और इससे सीधा प्रेशर दिल पर पड़ने लगता है। ये प्रेशर न सिर्फ हाई बीपी की समस्या बढ़ाता है बल्कि, हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। इसके अलावा कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से शरीर में
कई अंग भी प्रभावित होते हैं।
हाई कोलेस्ट्रॉल की वजह से धमनियों जो खुली हुई होती हैं वो अंदर से सिकुड़ने लगती हैं। इससे शरीर का ब्लड सर्कुलेश प्रभावित होता है। धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमने से हाई बीपी की समस्या होती है। इसके अलावा ये हार्ट अटैक का भी खतरा बढ़ाता है। हाई कोलेस्ट्रॉल नसों को नुकसान पहुंचाने का काम करता है और इनके काम काज में ब्लॉकेज पैदा करता है। कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना बीपी बढ़ाता है और ये सूजन पैदा करता है जो कि हड्डियों तक पहुंच सकती है। इसके अलावा किडनी को आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाओं में बहुत अधिक कोलेस्ट्रॉल जमा हो सकता है। इससे किडनी का काम काज बिगड़ता है। मस्तिष्क में शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर सबसे ज्यादा होता और असामान्य कोलेस्ट्रॉल न्यूरोडीजेनेरेटिव और स्ट्रोक का भी कारण बन सकता है। हाई कोलेस्ट्रोल के कारण धमनियां पतली हो सकती हैं और इनमें कोलेस्ट्रॉल ज्यादा जम सकता है। जो हाथ पैरों में सूजन और दर्द पैदा करती है। हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों में आपकी आंखों की समस्याएं शामिल हो सकती हैं, जैसे ज़ैंथेलस्मा जिसमें आंखों के आसपास की त्वचा पीली पड़ जाती है। साथ ही धुंधली दृष्टि, काले धब्बे देखना, आंखों में दर्द और बहुत कुछ शामिल है। इसके अलावा जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल ज्यादा जमा हो जाता है तो फैट से भरे नारंगी या पीले रंग के दाने हो सकते हैं। कोलेस्ट्रॉल त्वचा को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली कोशिकाओं नामक छोटी रक्त वाहिकाओं को भी ब्लॉक कर सकता है। इससे आपकी त्वचा की सतह का रंग बदल सकता है। यह सोरायसिस जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं में भी योगदान दे सकता है।
कोलेस्ट्रोल बढ़ने पर मिलते हैं ये संकेत
शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। इस स्थिति में चेस्ट पेन, सिर दर्द, थकान, सुस्ती, सांस लेने में तकलीफ, वॉमिटिंग, आदि जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं। यदि आपको बार-बार सीने में दर्द का एहसास होता है, या आपकी हार्टबीट बढ़ी रहती है, तो यह हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल की निशानी हो सकती है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर के बढ़ने से ब्लड फ्लो कम हो जाता है, जिसका सीधा असर त्वचा की रंगत पर नजर आता है। ब्लड फ्लो के कम होने से बॉडी सेल्स को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व प्रदान नहीं होते, साथ ही साथ ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। जो त्वचा के रंगत में बदलाव का कारण बनते हैं। अकसर पैरों का ठंडा पड़ना भी हाई कोलेस्ट्रॉल का लक्षण हो सकता है। इसलिए इसे नजरअंदाज ना करें और डॉक्टर से चेकअप करवाएं। शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के बढ़ते स्तर से बॉडी में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है, जिसकी वजह से पैरों में दर्द का एहसास होता है। बढ़ता कोलेस्ट्रॉल पेरीफेरल आईटीएल डिजीज का कारण बनता है। इस स्थिति में आर्टिरीज ब्लॉक हो जाती हैं, जिसकी वजह से ब्लड फ्लो धीमा हो जाता है। यह सभी फैक्टर्स पैरों में दर्द का कारण बनते हैं। जब आप स्थाई रूप से बैठे रहते हैं, तो यह कम हो जाता है और जैसे ही आप चलना, फिरना और शारीरिक गतिविधियां करना शुरू करते हैं, तो यह फिर से बढ़ जाता है।
क्यों बढ़ता है बैड कोलेस्ट्रोल
शरीर में कोलेस्ट्रोल का लेवल बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं। ज्यादा नमक या ज्यादा तेल की चीजें खाने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ जाता है। लेकिन कई बार लोग उल्टा सीधा भी नहीं खाते हैं फिर भी कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ जाता है। इसके पीछे कुछ और कारण हो सकते हैं। शरीर में कई बड़ी समस्याओं से बचने के लिए इन्हें जानना जरूरी है। कई बार होता यह है कि लोग खान पान तो सही रखते हैं लेकिन शारीरिक रूप से बिल्कुल निष्क्रिय रहते हैं। जिसके कारण भी कोलेस्ट्रोल बढ़ जाता है। कई बार परिवार में अगर किसी व्यक्ति को पूर्व में यह समस्या रही है तो इस वजह से भी यह प्रॉबलम आ सकती है। इसके अलावा अगर आप मोटापे के शिकार हैं तो हो सकता है इससे भी कोलेस्ट्रॉल लेवल ट्रिगर हो जाए और बढ़ना शुरू हो जाए। अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो आपका दिल भी इससे प्रभावित हो सकता है और बीपी और कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियां देखने को मिल सकती हैं। अगर आप ज्यादा धूम्रपान करते हैं तो आज ही इस आदत को छोड़ दें क्योंकि धुएं से भी कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ सकता है। शराब का अधिक सेवन भी हाई कोलेस्ट्रोल का कारण बन सकता है। इसके अलावा अक्सर बढ़ती हुई उम्र के साथ शारीरिक बीमारियों जैसे कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने का रिस्क भी बढ़ जाता है। एक्सरसाइज न करने से भी ऐसा हो सकता है।
ऐसे करें हाई कोलेस्ट्रोल से बचाव
शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने न दें। इसे कंट्रोल करने के लिए एक्सरसाइज करें या फिर ज्यादा फल और सब्जियां खाएं और डाइट में ऑयली व फैटी फूड्स की मात्रा कम करें। नियमित एरोबिक एक्सरसाइज करें। नॉन फैटी फूड्स का सेवन करें। ज्यादा फाइबर खाएं। कम कार्बाेहाइड्रेट वाली चीजों को खाएं । इन सबके अलावा अपनी डाइट में फाइबर और रफेज से भरपूर चीजों को शामिल करें ताकि ये फैट को बढ़ने से तो रोके ही बल्कि, इन्हें तेजी से पचाने में भी मदद करे।
नारायण अस्पताल में लीवर से जुड़े सभी रोगों का होता है उपचार
नारायण अस्पताल की सीनियर फिजिशियन डा. सोनिया अदलखा लीवर के अनगिनत रोगियों को ठीक कर चुकी है। नारायण अस्पताल में लीवर से जुड़े सभी रोगों का उपचार किया जाता है। फैटी लीवर के रोगी रोजाना नारायण अस्पताल में आ रहे हैं। डा. सोनिया अदलखा ने बताया कि गलत खान पान और अनयमित दिनचर्या के कारण लीवर के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अधिकांश लीवर के रोगी अस्पताल तब पहुंचते है, जब दिक्कत काफी बढ़ चुकी होती है। लीवर में होने वाली दिक्कतें शुरूआत में सामान्य लगती हैं लेकिन इन्हें नजरअंदाज करना कई बार भारी पड़ सकता है। लीवर की दिक्कतों को नजरअंदाज करने से बाद में लीवर सोरोसिस जैसी नोबत आ सकती है। लीवर की गंभीर समस्याओं से बचने के लिए समय-समय पर लीवर की जांच जरूर करायें ताकि बिमारी को समय पर कंट्रोल किया जा सके।